लोक कलाकारों ने लिया संस्कृति विभाग के महानिदेशक को आड़े हाथोंलोक कलाकारों ने किया संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज के खिलाफ विरोध प्रदर्शनराजधानी दून में गरजे उत्तराखंडी लोक कलाकारपारंपरिक वेशभूषा में लोक कलाकारों ने किया विरोध प्रदर्शन

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कमल पुरी देहरादून, 02 जून। लोक कलाकारों का शोषण बंद करने सहित विभिन्न मांगों को लेकर सांस्कृतिक दलों से जुड़े लोक कलाकारों ने राजधानी देहरादून में संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और सुभाष रोड़ पर सड़क के मध्य बैठ कर धरना दिया। इस दौरान विभाग की नीतियों से नाराज लोक कलाकारों ने आत्म दाह करने तक की धमकी दे डाली। लोक कलाकारों ने संस्कृति विभाग के महानिदेशक को भी आड़े हाथों लिया।

आज सुबह लोक कलाकार पारंपरिक वेशभूषा में प्रदर्शन करने राजधानी देहरादून पहुचें, जहां उन्होंने नाचते गाते लैंसडाउन चौक से सतपाल महाराज के कैंप कार्यालय तक कूच किया, जैसे ही वह लोग कूच करने के लिये निकले वैसे ही पुलिस प्रशासन ने उनका कूच सुभाष रोड़ स्थित एक होटल के बाहर बैरिकेटिंग लगा कर रोक दिया। पुलिस प्रशासन के इस कदम से नाराज़ होकर लोक कलाकार वहीं सड़क के बीच मे धरने पर बैठ गये। इस दौरान उन्होंने संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
लोक कलाकारों ने बताया कि संस्कृति विभाग के वर्तमान महानिदेशक ने गढ़वाल और कुमाऊं को दो मंडलों में बांट दिया है। प्रत्येक जिले के कलाकारों को केवल अपने ही जिलों में कार्यक्रम प्रस्तुत करने के लिए कहा है. उन्होंने कहा एक जिले के कलाकार दूसरे जिले में कार्यक्रम नहीं कर पाएंगे. जिससे उत्तराखंड की संस्कृति अपने ही जिलों में सिमट कर रह जाएगी।

उन्होंने कहा कि जब से राज्य बना है तब से उत्तराखंड में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आवंटन और बिलों का भुगतान संस्कृति निदेशालय से ही होता चला आ रहा है। लोक कलाकारों ने आनन फ़ानन में जिलों को दिए गए निर्देशों को निरस्त किए जाने की मांग उठाई है। जिससे उत्तराखंड के लोक कलाकारों की लोक कलाओं और संस्कृति का आदान प्रदान हो सके। सभी लोक कलाकारों ने सरकार से संस्कृति विभाग के सांस्कृतिक दलों का कार्यक्रम आवंटन और भुगतान पूर्ण की भांति संस्कृति निदेशालय से किए जाने की की मांग की है। लोक कलाकारों मांग की कि सांस्कृतिक दलों का भुगतान समय पर किए जाये, कलाकारों के साथ किसी भी तरह की दुर्घटना होने पर तत्काल संस्कृति विभाग कल्याण कोष से आर्थिक सहायता प्रदान की जाए, इसके अलावा कार्यक्रमों का आवंटन जिलाधिकारी की ओर से नियुक्त किए गए नोडल अधिकारियों से नहीं कराया जाए, पूर्व की तरह संस्कृति विभाग में ही बिलों को जमा किया जाए और वहीं से कलाकारों का भी भुगतान किया जाए।

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