अध्ययन का लाभ स्थानीय समुदायों तक पहुँचना चाहिए : राज्यपाल

Facebook
WhatsApp

TSA न्यूज़ सर्विस
देहरादून 03 अप्रैल। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) के समक्ष गुरुवार को कुमाऊँ विश्वविद्यालय नैनीताल के कुलपति प्रो. दीवान सिंह रावत ने राजभवन में ‘वन यूनिवर्सिटी-वन रिसर्च’ कार्यक्रम के अंतर्गत चल रहे शोध कार्य की प्रगति पर प्रस्तुतीकरण दिया। कुमाऊँ विश्वविद्यालय द्वारा ‘‘उत्तराखण्ड में पारंपरिक पुष्प एवं जड़ी-बूटियों द्वारा औषधीय हर्बल चाय का विकास’’ विषय पर शोध किया जा रहा है। प्रो. रावत ने शोध के उद्देश्य और प्रमुख निष्कर्षों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस शोध का उद्देश्य उत्तराखण्ड के पारंपरिक पुष्प एवं जड़ी-बूटियों से तैयार हर्बल टी को वैज्ञानिक परीक्षणों से प्रमाणित करना है, जिससे इसकी औषधीय गुणवत्ता सिद्ध हो सकें। उन्होंने बताया कि इस शोध के अंतर्गत 30 से अधिक पारंपरिक पुष्प एवं जड़ी-बूटियों के तहत तीन प्रमुख श्रेणियों की हर्बल टी विकसित की जा रही है, जिनमें एंटी-डायबिटिक टी, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली चाय और एंटी-वायरल हर्बल चाय शामिल हैं। प्रो. रावत ने बताया कि कोविड-19 के बाद हर्बल उत्पादों की मांग में तेजी से वृद्धि हुई है। उन्होंने बताया कि उत्तराखण्ड के पारंपरिक पुष्प एवं जड़ी-बूटियां दुर्लभ और औषधीय गुणों से भरपूर हैं, जो अभी भी व्यापक रूप से उपयोग में नहीं आ पाई हैं।

प्रस्तुतीकरण में वैज्ञानिक प्रामाणिकता और डीएनए बारकोडिंग तकनीक के बारे में बताया गया, जिससे जड़ी-बूटियों की प्रामाणिकता सुनिश्चित करने, मिलावट को रोकने और जैव चोरी (बायोपायरेसी) को नियंत्रित करने में सहायता मिलेगी। राज्यपाल ने इस शोध की सराहना करते हुए कहा कि यह शोध उत्तराखण्ड की समृद्ध औषधीय परंपरा को वैज्ञानिक आधार प्रदान करेगी और सतत विकास को बढ़ावा देगी। उन्होंने कहा कि इस अध्ययन का लाभ स्थानीय समुदायों तक पहुँचना चाहिए, जिससे राज्य के किसानों और उद्यमियों को आर्थिकी बढ़ाने के अवसर प्राप्त हो सकें। उन्होंने उत्तराखण्ड की औषधीय जड़ी-बूटियों को वैश्विक पहचान दिलाने और वैज्ञानिक अनुसंधान को व्यावसायिक रूप देने के लिए संस्थानों, वैज्ञानिकों और उद्यमियों के समन्वय की आवश्यकता पर बल दिया। राज्यपाल ने कहा कि इस शोध से राज्य के युवाओं को जैव प्रौद्योगिकी और हर्बल उत्पाद से विकास के क्षेत्र में नए अवसर मिलेंगे और उत्तराखण्ड का पारंपरिक ज्ञान आधुनिक विज्ञान के साथ मिलकर आर्थिक एवं सामाजिक प्रगति को दिशा देगा। इस अवसर पर अपर सचिव श्रीमती स्वाति एस. भदौरिया, जैव प्रौद्योगिकी विभाग कुमाऊँ विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष, प्रो. संतोष के. उपाध्याय उपस्थित रहे।

Subscribe For Latest Updates
We'll send you the best business news and informed analysis on what matters the most to you.