TSA न्यूज देहरादून। खाटू श्याम बाबा, जिन्हें बर्बरीक के नाम से भी जाना जाता है, महाभारत काल में प्रमुख योद्धा थे। खाटू श्याम बाबा भगवान कृष्ण के कलियुग में अवतार माने जाते हैं। उनकी कहानी महाभारत से जुड़ी है, जहां वे भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र थे।
खाटू श्याम बाबा :- बर्बरीक, जो बाद में खाटू श्याम के नाम से प्रसिद्ध हुए, भगवान शिव के भक्त थे और उन्होंने उनसे तीन अभेद्य बाण प्राप्त किए थे। जब महाभारत का युद्ध होने वाला था, तो बर्बरीक ने भी युद्ध में भाग लेने का फैसला किया। उन्होंने अपनी माँ को वचन दिया था कि वे हारे हुए पक्ष का साथ देंगे, और भगवान कृष्ण ने उनकी परीक्षा लेने के लिए ब्राह्मण का रूप धारण करके उनसे उनका शीश दान में मांगा।
बर्बरीक ने अपना सिर सहर्ष दान कर दिया, और भगवान कृष्ण ने प्रसन्न होकर उन्हें कलियुग में “श्याम” नाम से पूजे जाने का वरदान दिया। बर्बरीक का सिर राजस्थान के सीकर जिले के खाटू गांव में मिला था, जहां एक गाय प्रतिदिन एक विशेष स्थान पर दूध गिराती थी। उस स्थान पर मंदिर का निर्माण किया गया और खाटू श्याम बाबा के रूप में बर्बरीक की पूजा की जाने लगी। आज, खाटू श्याम मंदिर एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है, जहाँ लाखों भक्त दर्शन के लिए आते हैं। खाटू श्याम बाबा को “हारे का सहारा” कहा जाता है, क्योंकि वे हारे हुए और निराश लोगों को सहारा देते हैं। उनकी पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और वे अपने भक्तों पर कृपा बनाए रखते हैं।